दून-हरिद्वार के बीच घूम रहा बाघ, कांसरों में गूंजी दहाड़
कॉर्बेट से राजाजी लाए गए पांचवें बाघ को रेलवे और सड़क मार्ग की तरफ देखा गया

Amit Bhatt, Dehradun: पिछले दिनों मोतीचूर बाड़े से जंगल में छोडा गया बाघ कांसरो रेंज में पहुंच गया है। इस रेंज से हरिद्वार-देहरादून रेलवे लाइन के आसपास मंडराने की सूचना है। इसके अलावा यहां कुछ आबादी क्षेत्र और सड़क मार्ग भी पास ही है। बाघ के रेलवे ट्रेक पर पहुंचने की आशंका को देखते हुए पार्क महकमा अलर्ट पर है। वन विभाग की ओर से इसकी सूचना रेलवे को भी दी गयी है। वन कर्मी रेलवे ट्रैक की निगरानी कर रहे हैं। बाघ के गले मे गले रेडियो कॉलर की मदद से लगातार उसकी लोकेशन ट्रेस की जाती है। बताया जा रहा है कि बाघ रेलवे लाइन के काफी करीब पहुंचा है, जिसके बाद अलर्ट जारी किया गया। वहीं कांसरो रेंज के दूसरी तरफ आबादी क्षेत्र भी है।
बता दें कि कार्बेट से राजाजी टाइगर रिजर्व में लाए गए बाघ को बीते सोमवार को जंगल मे छोड़ा गया था। बाघ की निगरानी जीपीएस कालर के माध्यम से की जा रही है। इसके लिए वन कर्मियों की विशेष टीम बनी है। पार्क निदेशक कोको रोसे ने बताया कि बाघ की लगातार मॉनिटरिंग की जा रही है।
इस पांच वर्षीय नर बाघ को एक मई को बाड़े मे लाया गया था। मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक आरके मिश्रा ने बताया कि बाघ के गले में लगे रेडियो कॉलर से मिल रहे संकेतों के आधार पर वन कार्मिकों की टीम एक सुरक्षित दूरी बनाकर उसकी स्थिति का पता लगा रही है, जो लगातार बदल रही है। मिश्रा ने बताया कि राजाजी बाघ अभयारण्य के उपनिदेशक महातिम यादव वनकर्मियों के साथ समन्वय कर रहे हैं जबकि निदेशक कोको रोसे पूरी स्थिति की गहन निगरानी कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि वनकर्मियों को पश्चिमी छोर के पूरे जंगल यानि मोतीचूर , धौलखंड, चिल्लावाली रेंज के अंदर हरेक वन्यजीव गतिविधि पर पैनी नजर रखने के निर्देश दिए गए हैं।
अधिकारी ने बताया कि अब तक राजाजी बाघ अभयारण्य के पश्चिमी छोर के जंगलों में एक नर बाघ और तीन बाघिनें थीं, लेकिन इस नर बाघ की आमद के बाद नर बाघों की संख्या बढ़कर दो हो गयी है। वन अधिकारी ने बताया कि पश्चिमी छोर का जंगल काफी बड़ा और संसाधनों से परिपूर्ण है। उन्होंने बताया कि अब तक संसाधनों पर केवल एक नर बाघ का राज था लेकिन अब उसका एक प्रतिस्पर्धी भी आ गया है इसलिए जंगल में इन की सतत निगरानी बहुत जरूरी हो गयी है। अधिकारी ने बताया कि बड़ा क्षेत्र होने के कारण काफी संभावना है कि नया बाघ अपने लिए कोई एक सुरक्षित वन क्षेत्र चुन के उसे वास स्थल के रूप में अपना ले और दोनों बाघों के बीच भिडंत की नौबत न आए। उन्होंने बताया कि इस बारे में आने वाले दिनों में स्थिति स्पष्ट हो जाएगी। उत्तराखंड के राजाजी बाघ अभयारण्य के पश्चिमी छोर में बाघों का कुनबा बढ़ाने के लिए स्थानांतरण परियोजना के तहत कॉर्बेट से पांच बाघों को लाया गया है।