फटने से पहले 5 हेक्टेयर बढ़ा ल्होनक ग्लेशियर झील का आकार
केदारनाथ आपदा में चौराबाड़ी ग्लेशियर झील की तरह ही फटी ल्होनक झील, इसरो ने सेटेलाइट चित्रों से बयां की झील फटने की स्थिति
Amit Bhatt, Dehradun: सिक्किम के सुदूर उत्तर-पश्चिम क्षेत्र में दक्षिण ल्होनक ग्लेशियर झील को हिमालय की सबसे खतरनाक 14 ग्लेशियर झीलों में से एक माना जाता रहा है। ग्लेशियर झीलों के खतरनाक स्थिति में पहुंचने की यह आशंका सच साबित हुई और इसका करीब 107 हेक्टेयर भाग बह गया। झील फटने की यह कहानी इसरो के नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर (एनआरएससी) हैदराबाद ने सेटेलाइट चित्रों के अध्ययन के माध्यम से बयां की। अध्ययन में यह भी पाया गया कि फटने से पहले इसके आकार में करीब पांच हेक्टेयर का इजाफा हुआ। संभवतः झील का अकार उच्त्तम स्तर तक पहुंच गया था, जिसके बाद यह फट पड़ी और इसका आकार महज 60.3 हेक्टेयर रह गया।
नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर (एनआरएससी) हैदराबाद के निदेशक प्रकाश चौहान की ओर से जारी किए गए सेटेलाइट चित्रों के मुताबिक ग्लेशियर झील की खतरनाक स्थिति को देखते हुए 17 सितंबर, 28 सितंबर और बाढ़ की घटना के बाद चार अक्टूबर को सेटेलाइट के माध्यम से अध्ययन किया। जिसमें साफ हो गया कि झील फटी है और इसके करीब 107 हेक्टेयर भाग से निकासी हुई है। निदेशक प्रकाश चौहान के मुताबिक झील की निरंतर निगरानी जारी है। ल्होनक ग्लेशियर झील को हिमालय में सर्वाधिक तेजी से बढ़ने वाली 14 संभावित खतरनाक झीलों में से एक माना जाता रहा है।
फटने से पहले 167.4 हेक्टेयर था आकार
इसरो की सेटेलाइट तस्वीरों के मुताबिक दक्षिण ल्होनक झील के फटने से पहले इसके आकार में बढ़ोतरी पाई गई। 17 सितंबर को झील का आकार 162.7 हेक्टेयर था, जबकि 28 सितंबर को इसका कुल आकार बढ़कर 167.4 हेक्टेयर हो गया था। वहीं, झील के फटने के बाद अब इसका आकार 60.3 हेक्टेयर रह गया है।