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एमडी छात्र की मौत: आपका लड़का होता तब पता चलता…मेडिकल छात्रों ने क्यों उठाए गंभीर सवाल?

वायरल वीडियो: एसजीआरआर मेडिकल कॉलेज के एमडी के छात्र की मौत के बाद सामने आया छात्रों का आक्रोश, मेडिकल छात्रों ने लगाए गंभीर आरोप

Amit Bhatt, Dehradun: कितना आसान है यह कह देना कि किसी छात्र ने दबाव में आकर आत्महत्या कर ली है। लेकिन, उतना ही मुश्किल उस घटना को रोकना और उसकी पुनरावृत्ति न होने देना है, जिसके चलते कोई छात्र अपनी जान लेने जैसा गंभीर कदम उठाने को विवश हो जाता है। एसजीआरआर मेडिकल कॉलेज के एमडी के छात्र डॉ दिवेश गर्ग की संदिग्ध मौत को लेकर भी तमाम जिम्मेदार लोग इस बात को बेहद आसानी से कह दे रहे हैं। लेकिन, एक होनहार और महत्वकांक्षी छात्र की इस मौत को किसी भी दशा में हल्के में नहीं लिया जा सकता। क्योंकि, यह मौत बताती है कि कुछ तो उसके साथ ऐसा हुआ, जिसका समाधान ढूंढना उसे जिंदगी से भी भारी लगा होगा। खैर, छात्र की मौत की असल वजह तो पोस्टमार्टम रिपोर्ट या अन्य उच्च फोरेंसिक जांच में सामने आ पाएगी, लेकिन उसके पीछे के हालत के लिए स्वयं एसजीआरआर प्रबंधन और नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) जैसी संस्थाओं को गंभीरता से काम करना पड़ेगा।

क्योंकि, यदि यह सामान्य मौत होती तो एसजीआरआर मेडिकल कॉलेज के छात्रों का गुस्सा इतने चरम पर न होता। एमडी के छात्र डॉ दिवेश गर्ग की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत के बाद छात्रों में भारी आक्रोश देखने को मिल रहा है। छात्र कॉलेज प्रशासन पर शोषण का आरोप लगा रहे हैं। शनिवार को छात्रों ने कॉलेज प्रशासन के समक्ष न सिर्फ जमकर अपना गुस्सा जाहिर किया, बल्कि प्रिंसिपल पर आरोप लगाया गया कि काम के नाम पर जूनियर रेजिडेंट्स को प्रताड़ित किया जा रहा है। छात्रों ने इस मौत के पीछे कॉलेज प्रशासन से मिलने वाले अनावश्यक दबाव को वजह बताया है। छात्रों का यह गुस्सा रविवार को भी दिनभर देखने को मिला। बड़ी संख्या में जुटे मेडिकल छात्रों ने कॉलेज प्रशासन के प्रति अपना गुस्सा जाहिर किया।

वायरल वीडियो में बोली गई बातों का सच बाहर आना जरूरी
एसजीआरआर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एंड हेल्थ साइंसेज, देहरादून (उत्तराखंड) के पीजी पीडियाट्रिक्स के प्रथम वर्ष के छात्र दिवेश गर्ग की मौत के बाद ऑल इंडिया मेडिकल स्टूडेंट्स एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ जितेंद्र सिंह ने एसजीआरआर प्रशासन को पत्र भी लिखा है। जिसमें उन्होंने तमाम मांगों का जिक्र करते हुए शीघ्र पूरा किए जाने की मांग उठाई है। क्योंकि, मेडिकल छात्रों ने कॉलेज प्रशासन पर जो आरोप जड़े हैं, वह मानवीय पक्ष को दरकिनार कर क्षमता और मानक से अधिक सेवाएं लेने को लेकर लगाए गए आरोपों से संबंधित हैं। इन्हीं आरोपों का एक वीडियो भी जमकर वायरल हो रहा है। जिसमें गुस्से में तमतमाए छात्र कह रहे हैं कि आपका लड़का होता तब पता चलता…और कितनों को मारोगे। एक छात्र यह भी कह रहा है कि जब कोर्ट केस होगा तो सभी गवाही देंगे। आप क्या करवाना चाहते हो कि हम 08 घंटे के पैसे में 20 घंटे काम करें, आप यह लिखकर दे दीजिए। हम नोटिस बोर्ड पर चिपका देते हैं। वीडियो में यह सुनने को भी मिल रहा है कि टॉक्सिसिटी किसने की सभी जानते हैं। इसका क्या मतलब हो सकता है, इस पर गहनता से जांच की जानी चाहिए। क्योंकि, यह बात भी सामने आई है कि छात्र की मौत जहर की तरह असर करने वाले किसी इंजेक्शन के लगाने से हुई है।


ऑल इंडिया मेडिकल स्टूडेंट्स एसोसिएशन की ओर से भेजा गया मांग पत्र।

मेडिकल स्टूडेंट्स एसोसिएशन की एसजीआरआर से मांगें
-03 दिन भीतर आत्महत्या करने वाले छात्र डॉ दिवेश गर्ग की पूरी फीस और क्षतिपूर्ति उनके परिवार को लौटाई जाए।
-मृतक छात्र के परिजनों से फीस की किसी तरह कोई डिमांड नहीं की जाए।
-नेशनल मेडिकल कमीशन के मुताबिक पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन रेगुलेशंस (पीजीएमईआर)-2023 का पालन किया जाए।
-साप्ताहिक अवकाश सुनिश्चित किया जाए और काम के घंटे मानकों के अनुरूप तय किए जाएं।
-भोजन अवकाश समय मानक के अनुरूप हो और हॉस्पिटल कैंपस में मेस सुविधा मिले।
-स्टाइपेंड करीब 71257 रुपये मासिक आदि।

यह है एमडी छात्र दिवेश की मौत का मामला
पटेलनगर पुलिस के मुताबिक एसजीआरआर मेडिकल कॉलेज के एमडी के छात्र दिवेश गर्ग निवासी पलवल हरियाणा की शुक्रवार रात हॉस्टल में तबीयत खराब हो गई थी। जिस पर उसे महंत इंदिरेश अस्पताल की इमरजेंसी में भर्ती कराया गया था। रात में इलाज के दौरान उसने दम तोड़ दिया। प्रथम दृष्टया यह पाया गया कि छात्र ने जहर का कोई इंजेक्शन लगाया है। छात्रों ने इसे कालेज प्रशासन के उत्पीड़न का परिणाम बताया। जबकि दूसरी तरफ कालेज प्रशासन ने कहा कि छात्र भारी मानसिक दबाव में था। वह पीजी करना ही नहीं चाहता था। संभवतः उसने घर वालों के दबाव में दाखिला लिया हो। हालांकि, एसजीआरआर के वरिष्ठ जनसंपर्क अधिकारी भूपेंद्र रतूड़ी ने कहा कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद ही कुछ कहा जा सकता है। पुलिस अपना काम कर रही है। यदि कहीं छात्रों को किसी बात की परेशानी थी तो उन्हें उचित फोरम पर बात रखनी चाहिए थी। वीडियो में छात्र यह बात कहते हए बताए जा रहे हैं कि उनसे 20 घंटे काम कराया गया है। यदि ऐसा हो रहा था तो उन्होंने इससे पहले किसके समक्ष लिखित में शिकायत दर्ज कराई। यह सवाल वीडियो भेजने वाले छात्रों से पूछा जाना चाहिए।

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