Usha Gairola, Dehradun: राजधानी दून में कई चिकित्सा प्रतिष्ठान और चिकित्स्क सेवाभाव वाले चिकित्सा के पेशे को सिर्फ धंधे की नजर से देखने लगे हैं। यही कारण है की वह पैसों के लिए नागरिकों को सेहत के साथ खिलवाड़ करने से भी बाज नहीं आ रहे। अब जिस चिकित्स्क ने बीएएमएस (बैचलर ऑफ आयुर्वेदिक मेडिसिन एंड सर्जरी) की डिग्री हासिल की है, यदि वह एमबीबीएस (बैचलर ऑफ मेडिसिन, बैचलर ऑफ सर्जरी) की भांति बिना सक्षम अनुमति के काम करने लगे तो इसे क्या कहेंगे। जिला प्रशासन की संयुक्त टीम ने भले ही अभी ऐसा करते एक चिकित्सक को पकड़ा है, लेकिन तमाम आयुर्वेदिक चिकित्सक ऐसा करते पाए जा सकते हैं।
जिलाधिकारी सोनिका के निर्देश पर अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ डीएस चौहान ने 150-अजबपुर चौक पर आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ एसएस रावत के प्रतिष्ठान पर औचक निरीक्षण किया। उन्होंने पाया कि वह आयुर्वेदिक चिकित्सक होते हुए बिना सक्षम अनुमति के ऐलोपैथी की दवाएं बेच रहे हैं। उनके पास से बड़ी मात्रा में ऐलोपैथिक दवाओं का भंडार मिला। इसके लिए उनके पास औषधि लाइसेंस भी नहीं था। वह बिना अनुमति मरीजों का उपचार करने के साथ दवाओं की बिक्री भी कर रहे थे। इस स्थिति को देखते हुए डॉ एसएस रावत को नोटिस जारी किया गया है। साथ ही कार्रवाई के लिए औषधि निरीक्षक और मेडिकल पॉल्यूशन बोर्ड को भी सूचित किया गया है। ताकि उनके स्तर से उचित कार्रवाई की जा सके।